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    बहुत ही अद्भुत है राजस्थान का Jeen Mata Mandir, औरंगजेब भी चमत्कार से हो गया था प्रभावित

    देश में कई ऐसे मंदिर विराजमान हैं जो अपनी मान्यताओं को लेकर दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको राजस्थान के जीण माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका प्रसिद्धि की कहानी मुगल काल से जुड़ा हुआ है। साथ ही यह मंदिर देश के प्राचीन शक्तिपीठों में से भी शामिल है। चलिए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारे में।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 25 Dec 2024 02:50 PM (IST)
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    Jeen Mata Mandir आदिशक्ति का अवतार मानी जाती हैं जीण माता।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान के शेखावाटी इलाके में सीकर-जयपुर रोड पर जीण माता (Jeen Mata Temple) का एक बेहद प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर के नाम पर ही गांव का नाम जीण माता गांव रखा गया है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर जंगल में तीन छोटी पहाड़ियों के बीच स्थित है। इसके आसपास का नजारे भी काफी मनमोहक है।  

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    मिलती है ये कथा

    मान्यताओं के अनुसार, राजस्थान के चूरू में घांघू गांव के एक राजघराने में जीण माता का जन्म हुआ था, जिन्हें आदिशक्ति का अवतार माना जाता है। एक दिन उनकी अपने बड़े भाई हर्ष से लड़ाई हो गई और उन्होंने वन में जाकर तपस्या शुरू कर दी। आज इसी स्थान पर माता का मंदिर स्थापित है।

    मुगलों से कैसे जुड़ा है नाता

    एक बार मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने शेखावाटी के मंदिरों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। तब आसपास के लोगों ने परेशान होकर मां जीण माता से गुहार लगाई। माता ने अपने चमत्कार से औरंगजेब की पूरी सेना पर मधुमक्खियों की विशाल सेना छोड़ दी, जिससे परेशान होकर औरंगजेब के सैना को वहां से भागना पड़ा। इस घटना के बाद से जीण माता को भंवरों की देवी भी कहा जाने लगा और उनकी मान्यता काफी बढ़ गई। माता के चमत्कार से प्रभावित होकर मंदिर में अखंड ज्योति शुरू की, जिसका तेल दिल्ली दरबार से भेजा जाता था। इस मंदिर में आज भी वही ज्योति अखंड रूप से जल रही है।

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    ये हैं मान्यता

    इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि कुष्ठ रोगियों को दर्शन करने मात्र से स्वस्थ हो जाते हैं। मंदिर में भक्तों द्वारा स्वर्ण छत्र भी चढ़ाए जाते हैं। इस मंदिर में जीण भगवती की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित है। पहाड़ के नीचे एक मंडप स्थित है, जिसे गुफा कहा जाता है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।  इसी के साथ खाटू श्याम जी के फाल्गुनी व मासिक मेलों में आने वाले लोग भी जीण माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।